tag:blogger.com,1999:blog-7927844685644388139.post5306018930870168695..comments2023-04-12T20:54:40.030-07:00Comments on प्रतिध्वनि: इकलौते पजामे का फटना | योगेश मित्तल | हास्य कविता योगेश मित्तलhttp://www.blogger.com/profile/05950855080434846188noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7927844685644388139.post-20041500027628063112021-11-26T20:23:51.140-08:002021-11-26T20:23:51.140-08:00कुछ तो माँ शारदे और कुछ मित्रों व शुभचिन्तकों की श...कुछ तो माँ शारदे और कुछ मित्रों व शुभचिन्तकों की शुभकामनाओं और प्यार तथा उत्साहवर्धन का असर है, वरना नाचीज़ तो कोई चीज़ ही नहीं है! सबसे बड़ा उदाहरण है कि मैंने जीवन में कभी कोई भजन या सांग नहीं लिखा था, लेकिन विकास नैनवाल और सुजाता देवराड़ी जी ने जिक्र किया, लिखवाया और मोहित बैंजवाल जी के स्वर में विजयपाल जी के संगीत में एक बहुत मधुर भजन तैयार करवा कर, प्रस्तुत कर दिया! राम पुजारी जी और सुबोध भारतीय जी ने प्रेत लेखन पर विस्तृत सामग्री पुस्तकाकार में प्रस्तुत करने का संयोग उत्पन्न कर दिया! <br />किंडल पर भी कुछ लोग मेरे लेखन कार्य को सहेज़ रहे हैं! <br />सबको धन्यवाद करूँ तो शायद बहुत सारी पंक्तियाँ तैयार हो जायेंगी! <br /><br />जय श्रीकृष्ण!योगेश मित्तलhttps://www.blogger.com/profile/05950855080434846188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7927844685644388139.post-59967746672343920372021-09-16T19:25:21.529-07:002021-09-16T19:25:21.529-07:00बहुत ही अच्छी हास्य कविता रची है यह योगेश जी आपने।...बहुत ही अच्छी हास्य कविता रची है यह योगेश जी आपने। निस्संदेह आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com