tag:blogger.com,1999:blog-7927844685644388139.post6998229622357690490..comments2023-04-12T20:54:40.030-07:00Comments on प्रतिध्वनि: मेरी आजादी | योगेश मित्तल | हिन्दी कवितायोगेश मित्तलhttp://www.blogger.com/profile/05950855080434846188noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7927844685644388139.post-19453644688444462942021-08-18T05:33:33.829-07:002021-08-18T05:33:33.829-07:00शुक्रिया भाई, खुशी हुई कि देश, काल और समय के अनुरू...शुक्रिया भाई, खुशी हुई कि देश, काल और समय के अनुरूप निकली, दिल की कड़वाहटों को आपने गहराई से समझा और सराहा! <br />यह सकारात्मक लेखन के लिए प्रोत्साहन ही तो है! <br />हार्दिक धन्यवाद व प्रणाम!योगेश मित्तलhttps://www.blogger.com/profile/05950855080434846188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7927844685644388139.post-92128085982542236602021-08-16T20:11:09.766-07:002021-08-16T20:11:09.766-07:00सांसें लेना अपराध हुआ,
जीना फांसी का ...सांसें लेना अपराध हुआ, <br />जीना फांसी का फन्दा है। <br />मैं सच को अगर सच कह दूँ तो, <br />सब कहते हैं - यह अन्धा है<br /><br />आज की कड़वी सच्चाई बयान कर दी मित्तल जी आपने। बहुत अच्छी, सचमुच बहुत ही अच्छी कविता है यह आपकी - कोई बनावट नहीं, कोई आडम्बर नहीं, कोई मौके के मुताबिक कही जाने वाली ऐसी बात नहीं जो बस देखने में ही अच्छी हो। सच और केवल सच ही है इस कविता में। और ऐसी कविता रचना ही कवि का वास्तविक धर्म है। जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com