मेरी यह तस्वीर 'जनता पॉकेट बुक्स, गांधीनगर, दिल्ली' से 'मेजर बलवन्त' नाम से प्रकाशित मेरे उपन्यास 'चीख का रहस्य' के बैक कवर पर प्रकाशित हुई थी।
तब मैं वयस्क भी नहीं था।कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।
बहुत अच्छा लगा योगेश जी आपकी यह तस्वीर देखकर। सन 2011 में प्रदर्शित एक हिन्दी फ़िल्म 'ये फ़ासले' प्रदर्शित हुई थी जिसके लेखक-निर्देशक का नाम योगेश मित्तल है। क्या ये लेखक-निर्देशक आप ही हैं ?
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