और सुनील गावस्कर घूम गये - क्रिकेट संस्मरण 1 - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

सोमवार, 14 सितंबर 2020

और सुनील गावस्कर घूम गये - क्रिकेट संस्मरण 1

   दिल्ली के जनपथ होटल में दिलीप वेंगसरकर के साथ मैं - एक यादगार क्षण !

दिलीप उन दिनों दलीप ट्रॉफी का एक मैच फिरोज शाह कोटला में उत्तर क्षेत्र से खेलने आये थे और दोनों टीमों के खिलाड़ी जनपथ होटल में ठहराए गए थे !

तब फिरोज शाह कोटला में सुनील गावस्कर ने मुझे बहुत खिझाया था और मुझे गावस्कर पर एक बेहतरीन लेख लिखने का सख्त अफ़सोस हुआ था ! मेरी दो रील सिर्फ गावस्कर की फोटो खींचने के चक्कर में बरबाद हो गईं थीं, लेकिन गावस्कर ने उस दिन खून के आँसू रुला दिया, क्योंकि मेरे पास और खिलाड़ियों की फोटो खींचने के लिए रील ही नहीं थी, जबकि मोहेन्दर अमरनाथ, सुरेन्दर अमर नाथ, लाला अमरनाथ, यशपाल शर्मा आदि की मैं आराम से तस्वीर खींच सकता था! सब बहुत अच्छे से मिल रहे थे और फोटो खिंचवाने के लिए तैयार थे! मगर मेरी बदकिस्मती यह थी कि मैं गावस्कर का पागलों जैसा फैन था और पहले उसी की तस्वीर खींचने की मन में जिद ठाने बैठा था! कपिल देव की एक तस्वीर अवश्य खींची थी, पर उसका प्रिन्ट नहीं है! हाँ, खेल खिलाड़ी में वह छपी थी, पर महीना और सन् याद नहीं!

हुआ यह था मैं जब भी गावस्कर की तस्वीर खींचने का प्रयास करता, गावस्कर घूम जाते थे ! मेरा स्नैप खराब हो जाता! उन दिनों फोटोग्राफी बहुत महंगी थी! बारह स्नैप्स की ब्लैक एंड वाइट रील बीस रुपये की आती थी !

और बीस रुपये के माने क्या थे, इसी से समझ लीजिये कि दिल्ली के गांधीनगर के सुभाष मोहल्ला में रणवीर की डेरी का भैंस का सामने-सामने दुहा दूध पचास पैसे किलो (लीटर) था ! (दरअसल लीटर शब्द बोल-चाल की भाषा में प्रचलित नहीं था )

गावस्कर बार-बार क्यों घूम जाते थे, इसका कारण था ! तब खिलाड़ी इंटरव्यू देने अथवा फोटो खिंचवाने के पैसे माँगने लगे थे !

और खिलाड़ियों को उचित पैसा मिलना चाहिए, इसकी आवाज़ उठाने वाले सरदार बिशन सिंह बेदी थे ! बिशन सिंह बेदी की कप्तानी के दिनों में पहली बार क्रिकेट खिलाड़ियों को अहसास हुआ था कि BCCI उनका शोषण कर रहा है !

गावस्कर तब टीम के उपकप्तान थे !

तब बहुत अच्छे से जिन लोगों से मुलाक़ात हुई, उनमे लाला अमरनाथ ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने मुझे सीने से लगाकर लिपटा लिया था ! सुरेंदर और मोहिन्दर अमरनाथ भी प्रेम से मिले, लेकिन कपिलदेव जब टॉयलेट जा रहे थे, तब कुछ लड़कियों ने उन्हें घेर लिया था, तब मैं भी कपिल देव के निकट पहुँच गया था ! मेरे हाथ में कैमरा था !

कपिलदेव ने लड़कियों से बचने के लिए मुझे एक हाथ से लिपटा लिया और बोले - "यहां फोटो मत खींचना !"

मैंने उनकी बात मानकर टॉयलेट की गैलरी में उनकी फोटो नहीं खींची थी!


© योगेश मित्तल

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