फेसबुक मित्र चेतन विश्वकर्मा द्वारा फेसबुक पर मुझसे एक प्रश्न पूछा। उस प्रश्न का उत्तर आपके समक्ष पेश है।
मित्र चेतन विश्वकर्मा का प्रश्न:
कोई कहानी जो आपने लिखी और आपको बहुत पसंद हो?
मेरा उत्तर:
कोई नहीं, कई हैं। प्रणय नाम से छपे 'पापी' और 'कलियुग' दोनों ही पसन्द थे। यशपाल वालिया के नाम से छपने वाला 'लोक लाज' भी पसन्द धा। राजभारती जी के लिए लिखा 'चूहेदान'
कुमारप्रिय के लिए लिखा 'सौगात' जगदीश नाम के लिए लिखा 'बेवफा'। भारत नाम के लिए लिखा 'माँ-बाप' । सूरज नाम के लिए लिखा 'बेटी गरीब की'। धीरज नाम के लिए लिखा 'सदा सुहागन'। मोहन पाकेट बुक्स में लिखे 'बहन का सुहाग' और 'सौतेला बाप'। एच. इकबाल नाम के लिए लिखे 'हत्यारों का बादशाह' और 'खूनी द्वीप'। नकली ओमप्रकाश शर्मा के लिए लिखे 'जगत की अरब यात्रा' और 'जगत के दुश्मन'। विक्रांत सीरीज़ के कई उपन्यास बेहद शानदार थे। 'विक्रांत के दुश्मन' के अलावा किसी का नाम याद नहीं। लेकिन रजत राजवंशी नाम से छपे 'रिवाल्वर का मिज़ाज', रिवाल्वर का नशा, रिवाल्वर का इंसाफ, पंगा। मगर रजत राजवंशी नाम से दो भागों में छपी कहानी 'डायल 101' और 'सब मरेंगे बारी-बारी' बहुत ज्यादा चर्चित हुए थे।
पर मुझे लगता है कि जो उपन्यास मैं लिख नहीं पाया या लिखने का अवसर नहीं पा सका, वे सर्वश्रेष्ठ होते। गंगा पाकेट बुक्स से 'लाश की दुल्हन' और लक्ष्मी पाकेट बुक्स से 'मिट्टी का ताजमहल'
और अब तो लगता है कि जो अब भविष्य में लिखने का विचार है
- कब तक जियें
- मेरी पत्नी : मेरी दुश्मन
- शीशे का आदमी
- टांगें बोलती हैं
यही सब उपन्यास बेहतरीन होंगे।
दरअसल मैं अधिकांशतः कोई भी उपन्यास लिखने से पहले उसके आरम्भ और अन्त और बीच का हल्का सा खाका दिमाग में तैयार कर लेता हूँ, फिर लिखना आरम्भ करता हूँ।
पर कामर्शियल लेखन में अक्सर बिना सोचे समझे ही उपन्यास आरम्भ कर देता था।
इस बारे में, मैं नये लेखकों को बेहतरीन लिखने के लिए टिप देने वाली एक श्रृंखला भी फेसबुक में आरम्भ करना चाहता हूँ, जोकि उनके लिए भी लाभप्रद होगी, जो लेखक नहीं हैं। मेरी उस श्रृंखला के बाद, जो लोग लेखक नहीं हैं, लेकिन भाषा पर उनकी पकड़ है, एक बेहतरीन पुस्तक लिख सकेंगे।
मेरा यह मानना है कि एक कहानी तो हर एक इन्सान के जीवन में भी होती है और एक कहानी तो हर एक इन्सान लिख सकता है, बस, उसे यह पता होना चाहिए कि कैसे लिखना है और क्या लिखना है।
मेरी उपरोक्त किताब उपन्यास तो नहीं होगी, लेकिन मेरी एक बहुत बेहतरीन कृति होगी।
रवि पाकेट बुक्स के स्वामी, मेरे अनुज सम प्रिय मनेश जैन अभी से उपरोक्त पुस्तक छापने का बीड़ा उठाने के लिए तैयार हो चुके हैं।
मुझे यकीन है कि मेरी उक़्त पुस्तक पढ़कर, जिसने कभी कलम नहीं उठाई, वह भी कलम उठाने का प्रयास अवश्य करेगा।
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