क्रिकेटर चेतन चौहान से एक मुलाक़ात - खेल खिलाड़ी 3 - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

क्रिकेटर चेतन चौहान से एक मुलाक़ात - खेल खिलाड़ी 3

तस्वीर में: मैं चेतन चौहान के साथ, उसके अशोक विहार स्थित फ्लैट में...!


चेतन चौहान और सुनील गावस्कर तब भारतीय क्रिकेट टीम के ओपनिंग पेयर के रूप में स्थापित हो चुके थे।

खेल-खिलाड़ी पत्रिका उन दिनों राज भारती जी के तीसरे नम्बर के भाई सरदार मनोहर सिंह सम्भाल रहे थे।

जो मित्र राज भारती जी के पारिवारिक जीवन के बारे में जानने की उत्सुकता रखते हैं, उन्हें मै बताना चाहता हूँ कि राज भारती जी कुल चार भाई एक बहन थे।

सबसे बड़े राज भारती स्वयं अर्थात करतार सिंह, जो उन दिनों प्रोविडेंट आफिस में अपर डिवीजन क्लर्क भी थे और उपन्यास लेखक तो थे ही। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी !

राज भारती जी से छोटे सरदार महेन्द्र सिंह पुस्तक व्यवसाय में थे और होलसेल पुस्तक विक्रेता तथा न्यूज़ पेपर सप्लायर थे। सबसे बड़े भारती साहब और सबसे छोटे किशन ने अपने बाल कटवा लिए थे और मोने हो गए थे ! जबकि महेंद्र सिंह एयर मनोहर सिंह तब सरदार थे ! बाद में मनोहर सिंह (खेल-खिलाड़ी के स्वामी) ने भी एक बार पूरे बाल कटवा लिए, किन्तु संभवतः घरेलू कोहराम के कारण कुछ समय बाद फिर बढ़ा लिए थे !

तब तीसरे नम्बर के सरदार मनोहर सिंह उन दिनों खेल खिलाड़ी सम्भाल रहे थे। चौथे किशन सिंह इन्कम टैक्स विभाग में कार्यरत थे। सबसे छोटी एक बहन थीं ! माताजी-पिताजी थे !

सब मुझसे खूब अच्छे से हँसते-बोलते थे ! उनके बच्चे भी मुझे देखते ही अंकल नमस्ते जरूर बोलते थे ! परिवार के सभी लोगों में बहुत प्यार था ! हमेशा सुख-दुःख में एक दूसरे का पूरा-पूरा साथ निभाते थे !

खुशमिज़ाज़ व मिलनसार लोगों का परिवार था, जिसमें मैं भी पारिवारिक सदस्य की तरह घुल-मिल गया था !

डॉक्टर मुकेश कौशिक उन दिनों “खेल-खिलाड़ी” से नए-नए जुड़े थे ! डॉक्टर साहब को लिखने का शौक था ! उस दिन आये हुए थे तो सरदार मनोहर सिंह ने उनसे कहा -"यार, आजकल चेतन चौहान रणजी ट्रॉफी दिल्ली से ही खेल रहा है ! यहीं अशोक विहार में रहता है ! उसका इंटरव्यू ले आओ ! अगले इशू में उसे छापते हैं !”

मुकेश कौशिक बोले - "पर मेरे पास कैमरा नहीं है।"

"योगेश...!" सरदार मनोहर सिंह मुझसे बोले - "तेरे पास तो कैमरा है न...?"

"हाँ, दो हैं...लूबिटेल और मिनोल्टा हॉट-शॉट,,,! मिनोल्टा कलर है।" मैंने बताया !

लुबीटेल बारह स्नैप्स की रील वाला ब्लैक एंड वाइट था!

"तो ठीक है योगेश जी, आप भी चलियेगा न साथ में। हम इन्टरव्यू लेंगे। आप फोटो खींच लेना।" मुकेश कौशिक ने कहा।

"नहीं-नहीं। यह कैसे जायेगा! इसके पास टाइम ही कहाँ है।" सरदार जी ने कहा - "आप कैमरा ले जाना।"

"पर हम अपनी फोटो अपने आप कैसे खींचेंगे।" मुकेश कौशिक बोले - "फिर हमने पहले कभी फोटोग्राफी नहीं की। योगेश जी के पास कैमरा है तो ये तो फोटो खींचते ही रहते होंगे। और कौन सा पूरा दिन लगना है! दो-चार घण्टों की तो बात है।"

"बोल योगेश, तू जायेगा...? खेल-खिलाड़ी के प्रूफ भी आये हुए हैं। आज ही सारे पढ़ने होंगे।

कल मैंने सारी करेक्शन लगवाकर परसों तक छपने देनी है।"

"प्रूफ मैं रात को पढ़ कर सुबह-सुबह दे दूंगा। अगर चेतन चौहान का इन्टरव्यू छापना है तो बिना फोटो के थोड़े ही छपेगा।" मैंने कहा।

"हाँ, फोटो तो जरूरी है।" सरदार जी ने कहा।

"ठीक है। फिर हो गया फैसला। योगेश जी हमारे साथ जायेंगे।" मुकेश कौशिक ने कहा।

"ठीक है। उसके लिए तो पहले  योगेश के घर जाना होगा। कैमरा तो घर पर ही होगा !" सरदार मनोहर सिंह ने कहा ! फिर मेरी तरफ देखकर बोले - "चलें योगेश!"

"चलिए...!" मैंने कहा !

सरदार जी उठ खड़े हुए !

"कहाँ...?" तभी मुकेश कौशिक ने पूछा ! उसका ध्यान कहीं ओर था !

"योगेश के घर...!" सरदार जी ने कहा !

और फिर टॉप फ्लोर पर स्थित खेल खिलाड़ी के ऑफिस से हम नीचे आये !

सरदार जी ने अपनी बाइक निकाली ! उनके पीछे मैं बैठा ! फिर मुकेश कौशिक !

उन दिनों न तो तीन सवारी पर कोई प्रतिबन्ध था, ना ही हेलमेट जरूरी था !

मैं उन दिनों पश्चिमी दिल्ली के रमेश नगर में सपरिवार रह रहा था ! 

सरदार जी और मुकेश कौशिक के साथ मैं रमेश नगर गया ! कैमरे उठाये ! बाहर आया !

सरदार जी और मुकेश बाहर ही खड़े रहे थे ! मुझे और मुकेश को सरदार जी ने बाहर मैन रोड पर उतार दिया, फिर बोले -"यहां से तुम लोग ऑटो कर लो ! मुझे प्रेस जाना है ! खेल-खिलाड़ी का टाइटल देखना है - छापना शुरू किया या नहीं !"

उसके बाद सरदार जी ने मुकेश कौशिक को चेतन चौहान का पता लिखवाया !

ऑटो द्वारा हम अशोक विहार पहुँचे !

वहाँ चेतन चौहान का घर ढूँढने में दिक्कत नहीं हुई !

चेतन चौहान उस समय अशोक विहार के उस फ्लैट में किराए पर रहते थे ! फ्लैट पहली मंज़िल पर था ! इस समय यह याद नहीं कि फ्लैट की घंटी बजाई थी या पहली मंज़िल पर पहुँच द्वार पर नॉक किया था !

बहरहाल दरवाजा खोलने पर एक गेहुएं रंग की औसत कद की आम सी स्त्री सामने आई ! हमने उसे चेतन चौहान के घर की नौकरानी समझा ! वह घुटनों तक की एक कुछ-कुछ पिंकिश और महरून सी छींटदार मैली सी फ्रॉक टाइप ड्रेस पहने थीं और उसके ऊपर गहरे स्काई कलर का एप्रन सा कुछ था! जैसा किचन में काम करते हुए रॉयल फैमिली के लोग पहनते हैं! उनके पैर में हवाई चप्पल थी! हमने उससे बड़ी विनम्रता से चेतन चौहान के बारे में पूछा और यह बताया कि हम चेतन चौहान जी का इंटरव्यू लेना चाहते हैं !

वह दरवाजे के सामने से हटीं और हमसे कहा –“ भीतर आइये ! वो अभी आते हैं !"

हम अनुमान लगा रहे थे कि वह चेतन चौहान के घर की नौकरानी है या पत्नी...? परिवार का कोई और सदस्य नज़र नहीं आ रहा था ! लगता था चेतन अपने माता-पिता व परिजनों से अलग उस फ्लैट में रह रहे थे ! जोकि बाद में पता चला कि सही भी था !

मुकेश कौशिक ने सहसा उस महिला से पूछ भी लिया  कि - "आप..?" ! उसने सिर्फ एक शब्द कहा था, तभी....

"मैं उनका वाइफ हूँ ....!" वह कुछ फीकी सी हंसी हंसकर बोलीं!

"आप बिहार से हैं ...?" मैंने यूँ ही पूछ लिया !

"नहीं, मैं इंडियन हूँ, पर ऑस्ट्रेलियाई सिटीजन हूँ ! मेरा फैमिली सब ऑस्ट्रेलिया में हैं !"

"तब तो आपका लव मैरिज हुआ होगा ?"

"हाँ...!" वह एक बार फीकेपन से मुस्कराईं - "पर हमारे बीच अब सब कुछ ठीक नहीं चल रहा !"

कहकर वह अचानक मुड़ीं और बोली- "मैं पानी लाती हूँ ! आप दूर से आये हैं! प्यास लगी होगी!"

और थोड़ी देर बाद ही वह एक ट्रे में काँच के दो गिलास में पानी ले आईं !

हमने पानी के गिलास उठाये ही थे कि वह बोलीं - "चेतन आये तो उसको मत बोलियेगा कि आप लोगों ने मुझसे बात की है और मेरे बारे में कुछ मत छापिएगा, प्लीज !"

"आपलोगों की शादी कब और कहाँ हुई ?" पानी का गिलास खाली कर ट्रे में रख मुकेश कौशिक ने पूछा ! 

मैंने भी गिलास खाली कर ट्रे में रख दिया!

पर तभी वह दोनों होठों के बीच दाएं हाथ की तर्जनी रखकर पलट गयीं !

तब हमने चारों तरफ  नज़र दौड़ाई! दरवाजे से एंट्री वाला कमरा ही ड्राइंग रूम था ! वहाँ सोफा तथा सोफा चेयर थीं ! सोफे के ठीक पीछे दीवार में शीशे की अलमारी थी, जिसमें चेतन चौहान की कुछ ट्रॉफी, मैडल रखे थे !

चेतन चौहान की ऑस्ट्रेलियन पत्नी  किचन की ओर जाकर ओझल हुई ही थीं कि चेतन चौहान ने मुख्य द्वार से प्रवेश किया! उनके हाथ में एक झोला था, जिसमें कुछ सामान था, जाहिर था उन दिनों चेतन चौहान के यहाँ कोई घरेलू नौकर या मेड नहीं थी ! 

हम एकदम खड़े हो गए!

इससे पहले कि चेतन चौहान हमसे कुछ पूछते, मुकेश कौशिक ने उनसे कहा -"हम खेल खिलाड़ी से आये हैं ! आपका इंटरव्यू लेना चाहते हैं!"

"बैठिये...!" चेतन चौहान ने कहा !

उन दिनों खेल-खिलाड़ी हिंदी की मशहूर खेल पत्रिका थी और खेल-खिलाड़ी के अलावा हिंदी तो क्या, इंग्लिश में भी कोई पत्रिका या तो आती नहीं थी या चर्चित नहीं थीं !

स्पोर्ट्सवीक स्पोर्ट्सवर्ल्ड,स्पोर्ट्सस्टार सब बाद में छपने वाली पत्रिकाएं हैं ! क्रिकेटस्टार, क्रिकेटवर्ल्ड, क्रिकेटसम्राट सब बहुत बाद में छपनी आरम्भ हुईं !

चेतन चौहान का इंटरव्यू मुकेश कौशिक ने ही लिया ! क्या-क्या पूछना है ? यह मुझसे डिसकस करके उसने पहले ही एक डायरी में नोट कर लिया था ! जब भी मुकेश कौशिक बीच में कहीं अटका, तब ही मैंने जुबान खोली थी!

हमारे पास टेप रिकॉर्डर नहीं था !

इंटरव्यू की बातें मुकेश कौशिक डायरी में नोट करता गया ! 

बाद में वह इंटरव्यू - इंटरव्यूकर्ता मुकेश कौशिक के ही नाम के साथ, खेल-खिलाड़ी में प्रकाशित हुआ था ! तब वह चेतन चौहान का पहला बड़ा इंटरव्यू था ! तब इंटरव्यू में हमने चेतन चौहान की ऑस्ट्रेलियन पत्नी से हुई बातों को नहीं डाला था !


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