यादों के झरोखे से - कुछ चित्र - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

यादों के झरोखे से - कुछ चित्र

कभी डी. एन. कॉलेज के सामने मधुर इन्वेस्टमेंट के ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर तुलसी पॉकेट बुक्स का ऑफिस था! तब स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा और सुरेश चंद्र जैन उर्फ़ कनरल सुरेश उर्फ़ रितुराज पार्टनर हुआ करते थे, तब एक सस्ते से अपने कैमरे से वेद भाई की  यह तस्वीर मैंने उनकी ऑफिस चेयर पर खींची थी ! 

अब बारिश में भीगने के कारण सारे नेगेटिव खराब हो चुके हैं, पर फोटो उतनी खराब नहीं हुई है!बहरहाल यह फैसला आप खुद कीजिये !

वेद प्रकाश शर्मा

उपन्यासकार अनिलमोहन के साथ एक खुशनुमा शाम के समय विकासपुरी के एक पार्क में! तस्वीर अनिलमोहन ने अपने कैमरे से सेल्फ मोड में स्वयं क्लिक करके खींची!

अनिल मोहन के साथ एक खुशनुमा शाम

कीर्ति आज़ाद, तब 7 नंबर अशोक रोड में अपने पिता कांग्रेस सांसद भगवत झा आज़ाद और परिवार के अन्य सदस्यों सहित रहते थे ! तब वह विवाहित नहीं थे ! घर के ड्राइंग रूम में कॉफ़ी के दौर के साथ खेल-खिलाड़ी पत्रिका का नया अंक देखते हुए कीर्ति आज़ाद!

कीर्ति आज़ाद खेल खिलाड़ी पढ़ते हुए


कीर्ति आज़ाद अपने भाई-भाभी, भतीजी (गोद में) और माता-पिता के साथ !

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