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मेरे पास नहीं है फुरसत,
इधर-उधर की बातें सोचूँ!
फिर फिजूल में सिर में दर्द कर,
अपने ही बालों को नोचूँ!
इधर-उधर की बातें सोचूँ!
फिर फिजूल में सिर में दर्द कर,
अपने ही बालों को नोचूँ!
मैं भी बहुत व्यस्त रहता हूँ,
टाइम नहीं होता मेरे पास!
पर मैं तुम्हें फोन करता हूँ,
फिर हो जाता बहुत उदास!
अभी बहुत बिज़ी हूँ, कहकर,
फोन काट देती हो, हमेशा!
जैसे उसी फोन पर आना हो,
कोई तुम्हारा गुप्त संदेशा!
शायद अब वो नहीं रहा मैं,
जो कल तक तुमको भाता था!
और तुम्हीं तो खुद कहती थीं,
अक्सर सपनों में आता था!
जो कल तक तुमको भाता था!
और तुम्हीं तो खुद कहती थीं,
अक्सर सपनों में आता था!
नया युग है - नया जमाना,
चाहत रोज़ बदल जाती है!
कल तक बाइक पसन्द करती थी,
मोटर कार आज भाती है!
चाहत रोज़ बदल जाती है!
कल तक बाइक पसन्द करती थी,
मोटर कार आज भाती है!
- योगेश मित्तल
© योगेश मित्तल
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