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नहीं कहूँगा - तुम्हारा अक्स,
आँखों में समाया है!
नहीं कहूँगा, मैं यह भी
तुम्हें दिल में बसाया है!
तुम्हारे नाम का पत्थर,
मैंने दिल में लगाया है!
कयामत तक न उखड़ेगा,
उसी ने यह बताया है!
- योगेश मित्तल
© योगेश मित्तल
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