राज भारती साहब ने एक खेल पत्रिका भी आरम्भ की थी - खेल खिलाड़ी।
स्पोर्ट्सवीक और स्पोर्ट्सस्टार जैसी पत्रिकाएं अक्सर यह दावा करती रही हैं कि उन्होंने ही पहली बार हिंदी खेल पत्रिका निकाली, पर यह सरासर झूठ है।
खेल-खिलाड़ी साठ के दशक में भारती साहब ने शुरू की थी और इसका कार्य भार उन दिनों भारती साहब के छोटे भाई सरदार महेंद्र सिंह ने संभाला था।
पर सरदार महेंद्र सिंह कई और भी कामों में व्यस्त रहते थे। अतः बाद में राज भारती जी की सलाह पर ही सरदार महेंद्रसिंह से छोटे भाई सरदार मनोहर सिंह ने खेल-खिलाड़ी का कार्य भार संभाल लिया और तब राज भारती जी की ही सलाह अथवा आदेश पर प्रूफरीडिंग, एडिटिंग और सेटिंग का काम मुझे दिया गया। सत्तर के दशक में जब मैं खेल खिलाड़ी से जुड़ा, तब मेरी उम्र सतरह-अठारह साल रही होगी।
मेरी तनख्वाह चार सौ रुपये तय हुई, जो उन दिनों के हिसाब से बहुत थी।
सम्पादक में सरदार मनोहर सिंह का नाम जाता था। सह-सम्पादक में मेरा नाम डाला गया।
सरदार मनोहर सिंह के साथ मुझे कमेंटेटर सरदार जसदेव सिंह, रवि चतुर्वेदी, सुशील दोषी, नरोत्तम पूरी और उनके पिताजी देवराज पूरी आदि बहुत से गणमान्य लोगों से मिलने का अवसर मिला।
खेल खिलाड़ी के लिए काम करते हुए मुझे आदरणीय लाला अमरनाथ, सुनील गावस्कर, विश्वनाथ, दिलीप वेंगसरकर करसन घावरी, मदन लाल, कीर्ति आज़ाद, जफ़र इक़बाल, सुरेंद्र सिंह सोढ़ी, महाराज कृष्ण कौशिक, चेतन चौहान दिलीप दोषी, सैयद किरमानी तथा अन्य बहुत से दिग्गज खिलाड़ियों से मिलने का अवसर मिला।
पेश हैं मेरे द्वारा खींची गयी कुछ खिलाड़ियों की तस्वीरें।
पहली तस्वीर में खेल पत्रकार डॉक्टर मुकेश कौशिक, दिग्गज स्पिनर दिलीप दोषी, उनकी धर्मपत्नी व पुत्री के साथ। यह ब्लैक एंड व्हाइट पिक्चर लुबीटेल कैमरे से खींची गयी थी।
दूसरी तस्वीर है - तब के मीडियम पेसर कार्सन घावरी की। यह कलर पिक्चर छोटे मिनोल्टा कैमरे से खींची गयी थी।
कार्सन घावरी |
तीसरी पिक्चर भी कलर पिक्चर छोटे मिनोल्टा कैमरे से खींची गयी थी। यह पिक्चर है -तब के भारतीय विकेटकीपर सैयद किरमानी और उनकी श्रीमती जी की।
सैयाद किरमानी और उनकी धर्मपत्नी |
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