रजत राजवंशी और मेरे अन्य उपनाम - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

सोमवार, 25 जनवरी 2021

रजत राजवंशी और मेरे अन्य उपनाम

रजत राजवंशी | योगेश मित्तल

जत राजवंशी मेरा ही उपनाम है ! इस नाम से माया पाकेट बुक्स, मेरठ से मेरे कई उपन्यास मेरी फोटो सहित छपे हैं! "प्रणय" नाम से अमर पाकेट बुक्स, मेरठ से दो उपन्यास "पापी" व "कलियुग बैक कवर में मेरी फोटो छपे सहित छपे हैं! "मेज़र बलवन्त" नाम से जनता पाकेट बुक्स, दिल्ली से " चीख का रहस्य"  मेरी जैकेट और हैट में जासूस स्टाइल की फोटो सहित छपे हैं! 

तब सत्यकथा लेखक सुरेन्द्र पुष्कर तथा कई अन्य लोगों के साथ हम जासूसी भी किया करते थे! एक टीम थी हमारी! भारती पाकेट बुक्स और मनप्रिय प्रकाशन से "विक्रांत, जगत, जगन सीरीज़ के मेरे कई उपन्यास "योगेश" नाम से भी प्रकाशित हुए थे! 

मैं प्रकाशन जगत के उन लेखकों में से हूँ, जिसे पाठक बहुत कम जानते हैं, लेकिन हर बड़े से बड़ा प्रकाशक व छोटे से छोटा प्रकाशक बहुत अच्छी तरह जानते हैं तथा मैं उनके परमप्रिय लेखकों में से एक रहा हूँ! बहुत सारे बड़े लेखकों ने भी मुझसे उपन्यास व सत्यकथाएं लिखवाई हैं, जो कि उनके नाम से छपती थीं, पर मुझ जरूरतमन्द को तत्काल पैसे मिल जाते थे, इसलिए उनमें भी मैं बेहद लोकप्रिय था! कुछ फेसबुक मित्र मेरे बारे में अधिक जानने के लिए लगातार सम्पर्क व फोन कर रहे थे, इसलिए यह विवरण दिया है!

खेल खिलाड़ी, क्रिकेट जगत, विश्व क्रिकेट, नन्हा नटखट, अपराध कथाएँ, मानसी कथाएँ, राजभारती का मायाजाल, तन्त्र मन्त्र कहानियाँ, ब्यूटी मैडम, मनपसन्द कहानियाँ तथा और भी आधा दर्जन से अधिक पत्रिकाओं के बहुत सारे अंकों का सम्पादन तथा प्रूफरीडिंग मैं करता रहा था एवं कहानी सेलेक्शन तब मेरा ही होता था! 

- योगेश मित्तल

© योगेश मित्तल

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