तमन्ना - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

सोमवार, 25 जनवरी 2021

तमन्ना

तमन्ना | योगेश मित्तल | हिन्दी कविता
Image by truthseeker08 from Pixabay 


तमन्ना   है    सिर्फ    इतनी, 
भला    इन्सान    कहलाऊँ! 
दुखियों  का  दुख  दूर करूँ,
और   रोतों   को   बहलाऊँ!

किसी भी आँख के आँसू की, 
वजह   मैं   बन  नहीं   पाऊँ!
उदासी के हर एक चेहरे पर, 
मधुर    मुस्कान   ले   आऊँ! 

अगर गलती से कोई गलती, 
भूले   से    भी    हो   जाये! 
क्षमा   भी   माँगने   से   मैं
किंचित   भी   न   शरमाऊँ! 

‼️योगेश मित्तल!!


© योगेश मित्तल


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