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| दिल्ली-देहरादून |
मुझे क्यों छोड़ कर दिल्ली,
पहुँच गई है, तू देहरादून!
तेरे होंठों की लाली में,
शामिल अब है मेरा खून!
जरा तू सोच मेरी जां,
कैसे रोटी मैं खाऊँगा!
बनाने बैठा यदि मैं खुद,
तो उंगली भी जलाऊँगा!
जली रोटी तो खा लूँगा,
कहाँ बरनोल ढूँढूँगा!
कहाँ ढूँढूँगा मैं मोजे,
कहाँ रूमाल ढूँढूँगा!
तू जल्दी लौटकर आ जा,
मेरी फरियाद तू ले सुन!
आ जा लौट कर दिल्ली,
न जाना फिर तू देहरादून!
योगेश मित्तल
©योगेश मित्तल

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