तेरे आँसू - मेरे आँसू, तेरा दुख - दुख मेरा है! - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

तेरे आँसू - मेरे आँसू, तेरा दुख - दुख मेरा है!

योगेश मित्तल हिन्दी कविता
तेरे  आँसू  -  मेरे  आँसू,  तेरा  दुख - दुख  मेरा है! 



तेरे  आँसू  -  मेरे  आँसू, 
तेरा  दुख - दुख  मेरा है! 
तू जब सोये, मेरी रात है, 
जागे - तब ही  सवेरा है! 

तेरे बिना, हर सावन सूखा, 
हर बरखा में  -  आग भरी! 
दिन में भी हर पल तड़पा, 
रातों को  भी  -  आह भरी! 

कभी तेरी आँखों में झाँकू, 
बैठ  सामने  -  दिल  चाहे! 
कभी लगा लूँ - मैं सीने से, 
फैला  कर  -  अपनी बाहें!

मगर समस्या - बड़ी घनी, 
मैं पूरब और तू पश्चिम है! 
मैं सूरज की तरह जलता, 
तू बारिश की रिमझिम है! 

  - योगेश मित्तल

© योगेश मित्तल

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