हरिओम सिंघल - दोस्तों के दोस्त! - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

गुरुवार, 10 जून 2021

हरिओम सिंघल - दोस्तों के दोस्त!

लेखक - योगेश मित्तल 

हरिओम सिंघल को बहुत से लोग जानते हैं, बहुत से नहीं जानते । लेकिन मैं एक बात दावे के साथ कह सकता हूँ एक इंसान और दोस्त  के रूप में ऐसे व्यक्ति आज दुर्लभ हो गए हैं । 


हरिओम हरफनमौला हैं । शानदार उपन्यास भी लिखे । 


सांपला में इनका एक पेट्रोल पंप भी हुआ करता था । 


व्यापार भी किये । प्रकाशक भी रहे । 


दोस्तों की बहुत बार मदद भी की । 


भारती साहब बहुतों की मदद करते थे, लेकिन हरिओम सिंघल वह शख्स हैं, जिन्होंने मेरी और भारती साहब की भी, एक बार नहीं, बहुत बार बिना किसी स्वार्थ और लालच के, सिर्फ एक दोस्त होने के नाते मदद की । 


और अपनी तरफ से अनेक प्रकाशकों के दिल में नए लेखकों को प्रोत्साहन देने और छापने का जोश पैदा किया । शनु पॉकेट बुक्स उसी की एक कड़ी थी । 


"सचिन" के नाम से आपने जो भी सामाजिक उपन्यास पढ़े - हरिओम सिंघल ने ही लिखे थे । सचिन पॉकेट बुक्स इन्हीं का प्रकाशन था । यदि अपरिहार्य कारणों से हरिओम प्रकाशन जगत से दूर नहीं हुए होते तो नए लेखकों के भगवान के रूप में जाने जाते, क्योंकि नए लेखकों को उनके नाम से छापने के सबसे सशक्त पक्षधर रहे हैं -हरिओम सिंघल ।


इनके बारे में डिटेल में तो अपने आगामी संस्मरणों में दूंगा । 


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