हम प्यार सभी पे लुटाते हैं | हिन्दी कविता | योगेश मित्तल - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

बुधवार, 9 जून 2021

हम प्यार सभी पे लुटाते हैं | हिन्दी कविता | योगेश मित्तल

  
हम प्यार सभी पे लुटाते हैं | हिन्दी कविता | योगेश मित्तल


हम  मस्त हवा  के झोंके हैं,
खुशबू  बन कर  छा जाते हैं।
जब-जब जिन राहों से गुजरे,
उन  राहों  को   महकाते  हैं।

जब कोई दुखी हो रोता हो, 
आँसू  उसके   पी  जाते  हैं।
दुःख की अग्नि में ठंडक से 
हम उसका दिल बहलाते हैं ।

जब नींद उड़ी हो आँखों से, 
थपकी दे, हम ही सुलाते हैं।
और हर झपकी में कई-कई 
मीठे  से  ख्वाब  दिखाते हैं।

नफरत में जलते लोगों को, 
हम प्रेम का पाठ  पढ़ाते हैं।
कोई हमसे प्यार करे ना करे, 
हम प्यार सभी पे लुटाते हैं।

योगेश मित्तल

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