रजत राजवंशी मेरा ही उपनाम है । इस नाम से माया पाकेट बुक्स, मेरठ से मेरे कई उपन्यास मेरी फोटो सहित छपे हैं।
'प्रणय' नाम से अमर पाकेट बुक्स, मेरठ से दो उपन्यास 'पापी' व 'कलियुग' बैक कवर में मेरी रंगीन फोटो सहित छपे हैं।
'मेज़र बलवन्त' नाम से जनता पाकेट बुक्स, दिल्ली से मेरा उपन्यास 'चीख का रहस्य' मेरी जैकेट और हैट में जासूस स्टाइल की फोटो सहित छपे हैं।
तब सत्यकथा लेखक सुरेन्द्र पुष्कर तथा कई अन्य लोगों के साथ हम जासूसी भी किया करते थे। एक टीम थी हमारी। वो किस्से भी कभी वास्तविक नाम और स्थान बदल कर प्रकाशित करवाने के लिए मुझे प्रिय मित्र विकास नैनवाल ने सलाह दी है, क्योंकि वास्तविक नाम किन्हीं अपरिहार्य कारणों से नहीं दिये जा सकते। कभी याद करके वे सच्चे किस्से भी लिखूँगा।
भारती पाकेट बुक्स और मनप्रिय प्रकाशन से 'विक्रांत, जगत, जगन सीरीज़' के मेरे कई उपन्यास 'योगेश' नाम से भी प्रकाशित हुए थे। मनप्रिय प्रकाशन में बैक कवर पर लम्बे बालों में, मेरी एक तस्वीर भी छपी थी।
"वैष्णो देवी"और "फूलनदेवी" पर हिन्दी में सबसे पहले छपने वाली दो अलग-अलग किताबों में, दोनों में ही एक-एक किताब मेरी ही लिखी थी, जो गर्ग एण्ड कम्पनी के ज्ञानेन्द्र प्रताप गर्ग ने अपने ही नाम से छापी थी।
मैं प्रकाशन जगत के उन लेखकों में से हूँ, जिसे पाठक बहुत कम जानते हैं, लेकिन हर बड़े से बड़ा प्रकाशक व छोटे से छोटा प्रकाशक बहुत अच्छी तरह जानते हैं तथा मैं उनके परमप्रिय लेखकों में से एक रहा हूँ।
बहुत सारे बड़े लेखकों ने भी मुझसे उपन्यास व सत्यकथाएं लिखवाई हैं, जो कि उनके नाम से छपती थीं, पर मुझ जरूरतमन्द को तत्काल पैसे मिल जाते थे, इसलिए उनमें भी मैं बेहद लोकप्रिय था।
और सामाजिक तथा जासूसी उपन्यास भी मैंने बहुत सारे नकली नामों, बहुत सारे ट्रेडमार्क और घोस्ट नामों से तो लिखे ही हैं, कुछ प्रसिद्ध लेखकों के लिए जासूसी, सामाजिक एवं बाल उपन्यास भी लिखे हैं।
हर एक नाम से लिखे अपने उपन्यास और कहानियों का ब्यौरा और प्रमाण देना मेरे लिए असम्भव है, क्योंकि मैंने अपने लिखे का कभी रिकॉर्ड एवं प्रमाण नहीं रखा, किन्तु मुझे दृढ़ विश्वास है कि यदि मैंने रिकॉर्ड रखा होता तो मैं सबसे ज्यादा नामों से लिखने वाला विश्व का अव्वल लेखक होता।
कुछ फेसबुक मित्र मेरे बारे में अधिक जानने के लिए लगातार सम्पर्क व फोन कर रहे थे, इसलिए यह विवरण दिया है।
खेल खिलाड़ी, क्रिकेट जगत, विश्व क्रिकेट, नन्हा नटखट, अपराध कथाएँ, मानसी कथाएँ, राजभारती का मायाजाल, तन्त्र मन्त्र कहानियाँ, ब्यूटी मैडम, मनपसन्द कहानियाँ तथा और भी आधा दर्जन से अधिक पत्रिकाओं के बहुत सारे अंकों का सम्पादन तथा प्रूफरीडिंग मैं करता रहा था एवं कहानी सेलेक्शन तब मेरा ही होता था।
- योगेश मित्तल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें