अपराध कथाएँ: एक और ओम प्रकाश शर्मा - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

अपराध कथाएँ: एक और ओम प्रकाश शर्मा


ओम प्रकाश शर्मा नाम के राजेश, जयंत, जगत सीरीज के उपन्यासकार को तो सभी जानते हैं, किन्तु उन दिनों, नब्बे के दशक में एक ओम प्रकाश शर्मा पॉकेट बुक्स और मैगज़ीन एजेंट काफी यार बादशाह किस्म के मस्तमौला इंसान राज भारती जी के यहाँ मेरे भी संपर्क में आये । 


उन दिनों ओम प्रकाश शर्मा और सुनील कुमार शर्मा गहरे दोस्त भी थे ।


सुनील कुमार शर्मा ने बाद में भारती साहब के सहयोग से ही सपना पॉकेट बुक्स खोली । 


उसमे सुनील पंडित नाम से मेरे लिखे उपन्यास प्रकाशित किये थे और रजत राजवंशी नाम से मेरे उपन्यास रिवाल्वर का मिज़ाज़ का विज्ञापन भी किया, किन्तु रिवाल्वर का मिज़ाज़ छापना सुनील के लिए संभव नहीं हो सका, “रिवाल्वर का मिज़ाज़” और “रजत राजवंशी”  नाम से लिखे मेरे उपन्यास, मेरी तस्वीर सहित छापने का श्रेय मेरठ के दिग्गज प्रकाशक सुमत प्रसाद जैन के सबसे छोटे पुत्र द्वारा माया पॉकेट बुक्स को मिला और यहाँ  भी बात राज भारती जी की वजह से बनी थी ।  


तो हम बात कर रहे  थे - बुक्स एजेंट ओम प्रकाश शर्मा की । 


ओम प्रकाश शर्मा कोई पत्रिका निकालना चाहते थे । उन्हीं दिनों भारती साहब (राज भारती ) ने अपराध कथाएं नाम RNI से रजिस्टर्ड कराया था । उसकी तैयारियां शुरू की गयीं । 


प्रूफरीडिंग, एडिटिंग और कहानियों का सेलेक्शन करने का जिम्मा मेरा ही था ।  


ओम प्रकाश शर्मा प्रकाशकों की पुस्तकों का देश भर के पुस्तक विक्रेताओं से आर्डर लाने का काम करते थे । भारती साहब के लिए भी ओम प्रकाश शर्मा और सुनील पंडित उर्फ़ सुनील कुमार शर्मा ने आर्डर लाने के काम का बीड़ा उठाया, पर उन्हीं दिनों एक दिन जब हम सब साथ एकत्र थे और आपस में हँसी-मज़ाक और वार्तालाप कर रहे थे, अचानक ओम प्रकाश शर्मा ने भारती साहब से कहा -"यार करतार, मुझे अपना पार्टनर बना ले । मेरे पास कुछ पैसा है, वो भी अपराध कथाएँ में लगा दे और पत्रिका फ़टाफ़ट निकाल । चल जाएगी तो एक-दो पत्रिकाएँ और शुरू कर देंगे ।


यह पार्टी ओम प्रकाश शर्मा के सीताराम बाजार स्थित एक कमरे के किराये के घर में हो रही थी । तब ओम प्रकाश शर्मा की श्रीमती जी बच्चों के साथ मायके गयीं हुई थीं । 


और इस प्रकार ओमप्रकाश शर्मा और भारती साहब की अपराध कथाएँ में पार्टनरशिप हो गयी ।


शेष फिर । 


- योगेश मित्तल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें