पटाक्षेप होने वाला है.. | योगेश मित्तल | हिन्दी कविता - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

मंगलवार, 6 जुलाई 2021

पटाक्षेप होने वाला है.. | योगेश मित्तल | हिन्दी कविता

 दोस्तों, कविता किसी की मानसिक स्थिति की परिचायक नहीं होती, कभी-कभी किसी और के एहसास भी कवि अपने शब्दों में लिख देता है। उदास कविताओं से यह न समझिये कि मैं निराशावादी हूँ। मैं बहुत खुशमिजाज मस्तमौला प्रवृत्ति का हूँ, पर लेखन अक्सर दूसरों के चेहरों में डूब कर करता हूँ तो ऐसी पंक्तियाँ भी सृजित हो जाती हैं। 


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पन्ना - पन्ना  भीग  गया  है, 

धूमिल  हो  गये,  सारे  अक्षर। 

कुछ भी नहीं रहा जीवन में,

कहाँ जाऊँ बोलो - घबरा कर। 


जीवन की हर जिल्द फटी है, 

तहस - नहस  हैं  बाग  बगीचे। 

झूठी  आशा  में  ज़िन्दा  हूँ

कोई  तो  मीठे  बोल  से सींचे।


चाहें  वो  हों - नीम - करेले, 

पर  अपने  ही  साथी  तो  हों।

जीवन को जो रोशन कर दे, 

ऐसी  दीये  की  बाती  तो  हों।


मिला  नहीं,  जो  चाहा  मैंने, 

फिर  भी  हरदम  मुस्काया हूँ। 

गम पाया, पर खुशियाँ बांटीं, 

मत  समझो  कि  पगलाया हूँ। 


सोचा, कभी तो दिन बदलेंगे, 

सांई   सबका   रखवाला   है। 

पर  जीवन  की रात हो गई, 

पटाक्षेप    होने     वाला    है। 


योगेश मित्तल

4 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे मन की गहराई में उतर गई है आपकी यह कविता योगेश जी। लगता है जैसे किसी ने मेरे ही होठों की बार छीन ली हो । शब्द-शब्द अपने ही हृदय से फूटती ध्वनि की प्रतिध्वनि लगता है।

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    1. ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है कि मेरे शब्द निरर्थक नहीं हैं। पर यह कविता है। लेखन मैं अक्सर दूसरों के चेहरों में डूब कर करता हूँ तो ऐसी पंक्तियाँ भी सृजित हो जाती हैं।
      वैसे मैं सभी को आशावादी होने की सलाह देता हूँ। ज़िंदगी में जोश और पॉजिटिव सोच बहुत जरूरी है। बहुत जल्द मैं इस पर भी एक एपिसोड लिखूंगा - "मैं मशहूर क्यों नहीं हुआ। उस में आपको मशहूर न होने की निराशा नहीं, कारण नज़र आएंगे। और नज़र आएगी -ज़िंदगी को पॉजिटिव नज़र से देखने की मेरी आदत...!

      जय श्रीकृष्ण।

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    2. 'मैं मशहूर क्यों नहीं हुआ' की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी।

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    3. अभी थोड़ा वक़्त लगेगा! वेद भाई के एपिसोड के बाद आदरणीय गुलशन नन्दा जी के बारे में लिखने के बाद लिखूँगा!

      जय श्रीकृष्ण!

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