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Image by Thomas G. from Pixabay |
आलू लाना, अदरक लाना,
और ले आना प्याज़।
बीवी ने समझाये हमको,
घर-गृहस्थी के काज़।
घर से सीधा बाज़ार जाना,
बाज़ार से घर आना।
बीच राह में मिले, जो कोई,
हरगिज़ नहीं बतियाना।
पैसे गिन कर देना-लेना,
नहीं छोड़ना एक भी पैसा।
धनिया-मिर्ची मुफ्त माँगना,
चाहें दुकानदार हो कैसा।
एक किलो ले लेना टमाटर,
सख्त सख्त और लाल लाल हों।
सब्जी सारी ताजी लाना,
सड़ा या बासी नहीं माल हो।
बैंगन लेना लम्बे मोटे,
नीबू रस से भरे और छोटे।
पैसे जब वापस लो, देखना,
पकड़ा न दे कोई सिक्के खोटे।
आधा किलो भिन्डी ले आना,
शलजम मूली भूल ना जाना।
दो तीन सस्ते फल भी देखना,
और ले आना, मकई का दाना।
एक गड्डी पालक की लेना,
मेथी ले लेना - दो गड्डी।
मोल भाव भी जमकर करना,
कहीं न रहना, जरा फिसड्डी।
रस्ते में दिखे कोई पड़ोसन,
झट से आगे तुम बढ़ जाना।
भूले से भी बात न करना,
दोबारा न पड़े समझाना।
जाओ फटाफट, जल्दी आना,
एक मिनट भी नहीं गँवाना।
घर के बहुत काम बाकी है,
रुककर कहीं नहीं सुस्ताना।
करता सभी काम बीवी के,
चाहें हँसकर, चाहें रोकर।
इकलौती बीवी है मेरी,
मैं उसका इकलौता नौकर।
योगेश मित्तल
बड़ी अच्छी हास्य कविता रची है आपने योगेश जी। ऐसी कि पढ़ते ही होठों पर मुस्कान आ गई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई जी!
हटाएंआपके कमेन्ट्स सदैव प्रेरणादायी होते हैं!
जय श्रीकृष्ण!