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Image by Arek Socha from Pixabay |
जिस तरफ भी मैं चलूँगा,
तुम मेरे पीछे चलोगे।
रुक गये तो सोच लो तुम
खुद को खुद से ही छलोगे।
रास्ते हों टेढ़े - मेढ़े,
फिर भी चलता जाऊँगा मैं।
ऊबड़ खाबड़ राह पर भी,
हँस - निकलता जाऊँगा मैं।
गाँधी जैसे पाँव मेरे,
नेहरू जैसा ओज है।
जिद्द है - बढ़ते रहने की
बाकी सब तो मौज है।
मैं पथिक हूँ, यायावर हूँ,
मस्त बंजारा हूँ मैं।
फांकता हूँ धूल
गलियों-गलियों का मारा हूँ मैं।
मैं मुसाफिर हूँ सदी का,
आगे बढ़ता जाऊँगा मैं।
आँख के अन्धों को भी,
अब राह दिखलाऊँगा मैं।
मेरे पीछे जो चलेगा,
रास्ता मिल जायेगा।
खुश रहेगा, वो सदा और
फूल - सा खिल जायेगा।
लोग सच कहते मुझे,
सच्चाई मेरा नाम है।
पाँव तोड़ूँ झूठ के,
बस, ये ही मेरा काम है।
योगेश मित्तल
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