तुम्हारा चेहरा - योगेश मित्तल - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

रविवार, 31 जनवरी 2021

तुम्हारा चेहरा - योगेश मित्तल

तुम्हारा चेहरा | हिन्दी कविता | योगेश मित्तल
Image by Giulia Marotta from Pixabay 


 ख्यालों ख्वाबों में हर रोज आता!
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

हरेक   अदा   से   मुझे   लुभाता!
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

मेरे   ज़ेहन  से   ज़ुदा   नहीं    है!
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

हसीन   है   पर   खुदा   नहीं   है!
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

जो  मैं  न  होता - किसे  लुभाता?
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

ख्यालों ख्वाबों में  किसके आता?
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

बताओ मुझे तुम - किसे सताता?
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

अक्सर  किसे   बेवजह  रुलाता?
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

जो पास हो तो  कोई गम नहीं है!
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

खुदा नहीं पर - जरा कम नहीं है!
तुम्हारा  चेहरा  -  तुम्हारा  चेहरा!

-योगेश मित्तल

© योगेश मित्तल

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