मुहब्बत-नफरत - योगेश मित्तल | हिन्दी कविता - प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

मुहब्बत-नफरत - योगेश मित्तल | हिन्दी कविता

मुहब्बत-नफरत - योगेश मित्तल
Image by Miguel Santiago from Pixabay 

 
बेपनाह  प्यार  करने  वाले
नफरत  भी  बेहद  करते  हैं!
उनका  ही  खून  कर देते हैं,
जिनकी  सूरत  पर  मरते  हैं! 


दुनिया के बहुत से क्राइम भी
मुहब्बत-नफरत से पनपते हैं!
अपराध  इश्क़  से  उत्पन्न हो,
खूनी   अन्जाम   बदलते   हैं! 

ये इश्क़ बहुत है - बुरी चीज़,
अन्जाम   बुरा   ही   देती   है!
मिल जाये गृहस्थी का मातम
न   मिले,  चैन   हर  लेती   है! 


इसलिए मुहब्बत मत करना,
सूरत पे किसी की  मत मरना!
वरना  नफरत  कर  बैठोगे,
बेहतर है, मन में धीरज धरना! 

योगेश मित्तल

© योगेश मित्तल

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