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बेपनाह प्यार करने वाले
नफरत भी बेहद करते हैं!
उनका ही खून कर देते हैं,
जिनकी सूरत पर मरते हैं!
दुनिया के बहुत से क्राइम भी
मुहब्बत-नफरत से पनपते हैं!
अपराध इश्क़ से उत्पन्न हो,
खूनी अन्जाम बदलते हैं!
ये इश्क़ बहुत है - बुरी चीज़,
अन्जाम बुरा ही देती है!
मिल जाये गृहस्थी का मातम
न मिले, चैन हर लेती है!
इसलिए मुहब्बत मत करना,
सूरत पे किसी की मत मरना!
वरना नफरत कर बैठोगे,
बेहतर है, मन में धीरज धरना!
योगेश मित्तल
© योगेश मित्तल
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