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बालों की सफेदी से - कोई बूढ़ा नहीं होता,
ये उम्र किसी दौर का अन्दाज़ नहीं है!
दिल जिन्दादिल हो और मुहब्बत में रवाँ हो,
क्या फर्क, जो कल था, मगर आज नहीं है!
बढ़ने से सालों साल कोई बूढ़ा नहीं होता,
जीना लगे मुश्किल तो ही आता है बुढ़ापा!
वरना तो साठवें में, हो जाता है बच्चा-सा,
गाता है - सा-सा रे-रे गा-गा मा-मा पा-पा!
साँसों में जिसकी, सरगम सी खनक हो,
नजाकत भरे अन्दाज़ में फूलों की लचक हो!
वो शख्स कभी भी - बूढ़ा नहीं होता,
जिस दिल में हो शोखी, आँखों में चमक हो!
योगेश मित्तल
ये उम्र किसी दौर का अन्दाज़ नहीं है!
दिल जिन्दादिल हो और मुहब्बत में रवाँ हो,
क्या फर्क, जो कल था, मगर आज नहीं है!
बढ़ने से सालों साल कोई बूढ़ा नहीं होता,
जीना लगे मुश्किल तो ही आता है बुढ़ापा!
वरना तो साठवें में, हो जाता है बच्चा-सा,
गाता है - सा-सा रे-रे गा-गा मा-मा पा-पा!
साँसों में जिसकी, सरगम सी खनक हो,
नजाकत भरे अन्दाज़ में फूलों की लचक हो!
वो शख्स कभी भी - बूढ़ा नहीं होता,
जिस दिल में हो शोखी, आँखों में चमक हो!
योगेश मित्तल
©योगेश मित्तल
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