प्रतिध्वनि

प्रतिध्वनि

कविता, कहानी, संस्मरण अक्सर लेखक के मन की आवाज की प्रतिध्वनि ही होती है जो उसके समाज रुपी दीवार से टकराकर कागज पर उकेरी जाती है। यह कोना उन्हीं प्रतिध्वनियों को दर्ज करने की जगह है।

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

मेजर बलवंत

अप्रैल 11, 2023 1
 मेरी यह तस्वीर 'जनता पॉकेट बुक्स, गांधीनगर, दिल्ली' से 'मेजर बलवन्त' नाम से प्रकाशित मेरे उपन्यास 'चीख का रहस्य' के बैक कवर पर प्रकाशित हुई...
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शनिवार, 7 मई 2022

लेखक राजहंस की विशिष्ट लेखन शैली कैसे परिवर्तित होती चली गई

मई 07, 2022 3
ब्लॉग पर राजहंस बनाम विजय पॉकेट बुक्स -1 पर डॉक्टर ओंकार नायाराण सिंह जी का एक प्रश्न आया। मुझे लगता है उस प्रश्न का उत्तर राजहंस के अन्य पाठकों के लिए...
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सोमवार, 29 नवंबर 2021

टमाटर | हिंदी कविता | योगेश मित्तल

नवंबर 29, 2021 0
Image by Ernesto Rodriguez from Pixabay तेरे घर टमाटर, मेरे घर टमाटर, पड़ोसी के घर पर टमाटर नहीं है। पुलिस सूंघती आ गई घर...
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शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

रूटीन तो बहुत जरूरी है!

नवंबर 26, 2021 2
Image by Pexels from Pixabayजिन्दगी में रूटीन बहुत जरूरी है।  सोने का रूटीन, जागने का रूटीन, खाने का रूटीन, काम का रूटीन। पर ऐसा होता कहाँ है...
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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

हम भी मुन्तज़िर हैं | योगेश मित्तल | हिन्दी कविता

नवंबर 23, 2021 0
हैं अगर अपने भी यदि नाराज़ तो,और गुस्सा है जो दिल में आज तो। किसलिये, क्यों कर रहूँ उदास मैं, क्यों न रखूँ - नव खुशी की आस मैं। वो गले...
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रविवार, 19 सितंबर 2021

कुछ यादें वेद प्रकाश शर्मा के साथ की - 18

सितंबर 19, 2021 4
 "ताला तेरा नहीं है, यह क्या बात हुई?" वेद ने चकित होकर कहा। बात तो मेरी भी समझ में नहीं आ रही थी, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ कहता, सामने की...
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शनिवार, 18 सितंबर 2021

कुछ यादें वेद प्रकाश शर्मा के साथ की - 17

सितंबर 18, 2021 0
सुशील जैन एकदम कुर्सी से उठे और कुर्सी पीछे धकेल, मेज को क्रास कर, आगे निकल आये और बड़े तपाक से वेद प्रकाश शर्मा की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा -"आज योगेश और...
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गुरुवार, 16 सितंबर 2021

कुछ यादें वेद प्रकाश शर्मा के साथ की - 16

सितंबर 16, 2021 2
 "वो तो मैं हूँ....पर आपको बहुत ज्यादा गुस्सा किस बात पर आ रहा है?" मैंने बेहद शान्ति से सवाल किया। "तुम यार, इसे जानते कितना हो?" सतीश जैन...
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इकलौते पजामे का फटना | योगेश मित्तल | हास्य कविता

सितंबर 16, 2021 2
स्रोत: पिक्साबे फटा पजामा देखके, मैडम गईं घबराय। बोलीं, कम्बख्तों के पिता, कहाँ फाड़ के लाय? कहाँ फाड़ के लाय, दूसरा नहीं पजामा। अब...
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